Wednesday, December 31, 2008

Anjaana (Sher -o- Shayari)

बादशाहों की मुअत्तर ख्वाबगाहों में कहाँ वह मज़ा जो भीगी-भीगी घास पर सोने में है, 

मुत्मईन बेफिक्र लोगों की हँसी में भी कहाँ लुत्फ़ जो एक दूसरे को देख कर रोने में है|  


मकतबे इश्क में इक ढंग निराला देखा उसको छुट्टी न मिली जिसको सबक याद हुआ|

 

कौन ये ले रहा है अंगडाई आसमानो को भी नींद आती है|

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